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सुखमय हो संसार
(दोहे) |
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धुँधले कैलेंडर हटे, लगे नए
दीवार।
खुशियों की तारीख से, सुखमय हो संसार।
इक दूजे को दे रहे, बधाइयाँ, आशीष।
मंगलमय नववर्ष हो, कृपा करो हे ईश!
ओला, पाला धुंध से, घिरा हुआ नव-साल।
बर्बादी से खेत की, है किसान बेहाल।
आया है नववर्ष ले, सर्दी की सौगात।
किटकिट बजते दाँत औ', काँप रहे हैं गात।
चाहत के ले रंग नव, आया है यह वर्ष।
जन-जन रंगों में रँगा, लुटा रहा है हर्ष।
नए वर्ष के भोर में, पगे प्रेम संसार।
दीन-हीन में रब दिखे, यही ईश से प्यार।
बीते रंज बिसार के, बढ़ आगे की ओर।
ज्यों पतंग नभ में उड़े, बाँध कर्म की डोर।
- मंजु गुप्ता
१ जनवरी २०१७ |
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