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द्वार खड़ा नव वर्ष
(दोहे)
 
दस्तक फिर से दे रहा, द्वार खड़ा नववर्ष
जन मन में आशा जगी, पायेंगे अब हर्ष

देता है सन्देश ये, बीता उसे बिसार
स्वीकृत कर जो भी मिले, यही समय का सार.

दे देता नव वर्ष है, कुछ दिन का उल्लास
फिर मिलजुल कर साथ दे, अगले बारह मास

नयी सदी के हो गए, पूरे सोलह साल
शक्ति शौर्य से पूर्ण हो, भारत माँ का भाल

बच्चे-बूढ़े नव युवा, करते निज कर्तव्य
महिलाओं का मान हो, श्रेष्ठ तभी भवितव्य

स्वागत में सजधज रहे, सभी, 'मॉल', बाजार
'मुफ्त भेंट' मोहित करे, आती भीड़ अपार

सुख समृद्धि अधिकार में, फलित सभी की आस
ऐसे हों शुभकर्म अब, सबको मिले उजास

- ज्योतिर्मयी पंत 
१ जनवरी २०१७

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