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मुरली की तान लेकर आओ

     

 





 

 


 




 

मोहन तुम अपनी मुरली की तान ले कर आओ

शबरी और अहिल्या जैसी यहाँ नारियाँ सारी,
गिन गिन कर दिन काट रहीं हैं विपदा में बेचारीं,
अबलाओं को देने फिर सम्मान ले कर आओ

यहाँ कंस और रावण जैसे कितने अत्याचारी,
घूम रहे है खुले आम विध्वंस मचाते भारी,
उनको सबक सिखाने का सामान ले कर आओ

फिर से छेडो तान मधुर बंसी की कृष्ण मुरारी,
जिसको सुन कर सुध बुध भूलें जग के सब नर नारी,
प्रेम और खुशहाली का वरदान ले कर आओ

जन्म तुम्हारा सभी मनाते इस आशा से कान्हा,
आकर उन पर कृपा करो जो हैं सदृश्य सुदामा,
कर्म और फल का देने फिर ज्ञान ले कर आओ

- शरद तैलंग
३० अगस्त २०१०

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