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झूला झूले राधिका |
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१.
झूला झूले राधिका, आज 'कदम' की डार।
गाने सब गोपिन लगीं, मधुर-मधुर मलहार।।
मधुर-मधुर मलहार, तीज-व्रत रखके सारी।
गौरी-शिव का ध्यान, लगाए थे नर नारी।
हुई राधिका मग्न, कन्हैया का मुँह फूला।
गई श्याम को भूल, झूलने में वो झूला।
२.
भरकर नयनों में किशन, आँसू जमुना तीर।
लगा मुरलिया छेड़ने, स्वर में उभरी पीर।।
स्वर में उभरी पीर, हृदय में शूल बो दिया।
राधा ने जब गीत, सुना मन वहीं रो दिया।
दिया झूलना रोक, राधिका चली उतरकर।
गई कृष्ण के पास, नयन में आँसू भरकर।।
३.
राधा ने फिर कृष्ण का, लिया हाथ में हाथ।
उस झूले की ओर फिर, चली श्याम के साथ।।
चली श्याम के साथ, झूलने पर बैठाया।
रुष्ट कन्हैया मान, गया मद्धम मुस्काया।
मधुर प्रीत का सूत्र, राधिका ने यों बाँधा।
लगे झूलने साथ, बैठकर कान्हा-राधा।।
- सुरेश कुमार 'सौरभ'
१८ अगस्त २०१४ |
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