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जन्म लिया श्री कृष्ण ने |
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कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रहा भाद्रपद मास
जन्म लिया श्री कृष्ण ने, रचने को इतिहास
मक्खन लेकर हाथ में, मुख पर दही लपेट
चले खिलाने मात को, भरकर पहले पेट
सखी जसोदा से कहे, ललना बड़ा शरीर
पकडा माखन चोरते, करता पर तकरीर
देखी मुँह में भी धरा, और पूतना काल
कृष्ण रहे माँ के लिए, पर छोटे से लाल
चढ़े कदम्ब के वृक्ष पर, कूदे यमुना धार
श्रीकृष्ण ने चूर किया, कालि का अहंकार
रास खेलकर कृष्ण ने, दिया प्रेम संदेश
रसधारा में रास की, बहे सभी के क्लेश
हो क्रोधित की इंद्र ने, वृष्टि मूसलाधार
प्रभु ने गोवर्धन उठा, ब्रज को लिया उबार
अमर सदा है आत्मा, होता नष्ट शरीर
फिर चिंता किस बात की, क्यों हो इतनी पीर
आये खाली हाथ थे, जाना खाली हाथ
कुछ ना लाये साथ जब, पीछे कौन अनाथ?
दीन सुदामा से लिया, चावल का उपहार
ठेस न पहुँचे मित्र को, यह था मूल विचार
लाज बचाई नार की, किया बडा उपकार
छुप जाते पर अब कहाँ, सुन कर चीख पुकार
आज विवश फिर द्रौपदी, सुन लो कृष्ण पुकार
दुःशासन हैं घूमते, गली गली बाजार
कहाँ गये घन श्याम तु्म, कहाँ सुदर्शन अस्त्र
गली गली शिशुपाल हैं, हरें दुशासन वस्त्र
कृष्ण ढूँढते वृक्ष वे, और वही ब्रज गाँव
दानव क्रूर विकास का, जहाँ धर गया पाँव
-ओम प्रकाश नौटियाल
१८ अगस्त २०१४ |
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