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ओ कन्हैया |
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ओ कन्हैया
फिर तुझे आना पड़ेगा
आज फिर मीरा को
विष देकर, सुधारा जा रहा है
द्रोपदी के चीर से
पर्वत बनाया जा रहा है
ओ कन्हैया लाज रखने
फिर तुझे आना पड़ेगा
सूर, उद्भव, नंद-जसुमति
देवकी वसुदेव सब है
पर बहुत है कंस,
फिर कारा बनाया जा रहा है
ओ कन्हैया कंस वध को
फिर तुझे आना पड़ेगा
रूक्मणी -राधा अकेली
गोपियों की बंद बोली
गंग जमुना विषधरों से
हो रही हैं नित्य मैली
ओ कन्हैया कालिया वध
के लिये आना पड़ेगा
- कमलेश कुमार दीवान
१८ अगस्त २०१४ |
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