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मन राधा हुआ
(क्षणिकाएँ)
     

 





 

 


 




 



मन
राधा हुआ
मीरा हुआ
बँधा पल में
युगों का फेरा हुआ


गोपियों का
चीर चुराया
पांचाली का
चीर बढ़ाया
माखनचोर कन्हैया
तू हर रूप में भाया


महारण में
संबंधों के सागर में
दिग्‍भ्रमित हुए धनुर्धर
कौन लक्ष्‍य, संधानें शर
विराट रूप से संशय मिटाया
पार्थ को धर्म-पथ दिखाया

-सुशीला श्योराण ’शील’
२६ अगस्त २०१३

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