अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

जन्मे कृष्ण कन्हाई
     

 





 

 


 




 

कष्ट कटे,खुशहाली आई,
जन्मे ऐसे
कृष्ण-कन्हाई

भादों कृष्ण पक्ष में जन्मे
घोर अष्टमी के उस तम में
भी जैसे
उजियाली छाई

माता-पिता बंद थे, छूटे
कारागृह के ताले टूटे
गोकुल में
बज उठी बधाई

वन-वन घूमे, गाय चराई
चढ़ कदम्ब पर वेणु बजाई
रास किया
ब्रजभूमि बचाई

दुखी प्रजा को दिया सहारा
दुष्ट कंस मामा को मारा
राक्षसकुल
पर आफ़त आई

चीर दुशासन ने जब खोला
भरी सभा में कोई न बोला
द्रुपदसुता
की लाज बचाई

भद्रजनों को गले लगाया
दुष्टजनों को मार मिटाया
भगवन की
पदवी तब पाई

--राममूर्ति सिंह अधीर
२६ अगस्त २०१३

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter