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सखा कृष्ण की बातें
     

 





 

 


 




 


हार गये वे नीति, न्याय मर्यादाएँ समझाते
अर्जुन सुन ही नहीं रहा अब
सखा कृष्ण की बातें ।

दुश्शासन से होती मुठभेड़ें फर्जी हैं
शकुनी के षडयंत्रों में उसकी मर्जी है
दुर्योधन संग बैठ कर रहा धर्मराज से घातें
अर्जुन सुन ही नहीं रहा अब
सखा कृष्ण की बातें

मन रमता ही नहीं कभी निष्काम कर्म में
नहीं भरोसा रहा उसे अब न्याय धर्म में
कपट–नीति के मर्म उसे गांधारराज सिखलाते
अर्जुन सुन ही नहीं रहा अब
सखा कृष्ण की बातें

निष्कंटक शासन करने की तैयारी है
राज–पाट का पलड़ा रिश्तों पर भारी है
गुपचुप से खूनी–बगावतों की बिछ रही बिसातें
अर्जुन सुन ही नहीं रहा अब
सखा कृष्ण की बातें

–कृष्ण नन्दन मौर्य
२६ अगस्त २०१३

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