बीच धार में सबकी नैया कृष्ण कन्हैया
हर नैया का एक खेवैया कृष्ण कन्हैया
फिर सबके मन में गूँजें मीठी
तानें
फिर से आ जा रास रचैया कृष्ण कन्हैया
जीवन भ्रष्ट हुआ मानवता
हुई कलंकित
दर दर भटके तेरी गैया कृष्ण कन्हैया
लाखों दुर्योधन दुःशासन
ताल ठोंकते
करे द्रौपदी ता ता थैया कृष्ण कन्हैया
धन के पीछे मन जीवन सब
बेच रहे हैं
अब सबका भगवान रुपैया कृष्ण कन्हैया
आजा फिर से विजय दिला दे
सज्जनता को
तेरे जैसा कौन लडैया कृष्ण कन्हैया
-कमलेश श्रीवास्तव
२६ अगस्त २०१३ |