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भक्ति-भाव का सूर्य उगा |
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भक्ति-भाव का
सूर्य उगा फिर, धर्मों की लाली छाई।
कृष्ण-जन्म का पर्व मनाने,
पुनः नई पुरवा आई।
जप अखंड, सुमिरन मोहन का,
धरा मुक्ति का धाम हुई।
श्रद्धा में डूबी दिनचर्या,
आज कृष्ण के नाम हुई।
मंदिर देव
लदे पुष्पों से, भव्य आरती मन भाई,
दान-पुण्य के संग श्याम की,
महिमा जन-जन ने गाई।
दधि-माखन की टाँग मटकियाँ,
हर चौराहे पहुँचा जाम।
सजे धजे गोविंदाओं ने,
जीते हँडिया फोड़ इनाम।
गली-गली चल
पड़ीं झाँकियाँ, हुई उमंगित तरुणाई,
पूर्ण करे हर मन की आशा,
जन्म अष्टमी सुखदाई।
-कल्पना रामानी
२६ अगस्त २०१३ |
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