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लिया कृष्ण अवतार |
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१
आओ
राधाश्याम अब, व्याकुल है संसार
सब दुष्टों का नाश कर, हरो पाप का भार
२
बंधन मातुल कंस का, जन्मे कारागार
रात अँधेरी मध्य में, लिया कृष्ण अवतार
३
खेल- खेल में ही किया, असुरों का संहार
अद्भुत लीलाएँ दिखा, सुखी किया संसार
४
लाज द्रौपदी की धरी, आन बढ़ाया चीर
मित्र सुदामा की हरी, निर्धनता की पीर
५
युग बीते बदले नहीं, गीता के उपदेश
जो अपनाएँ हृदय से, रहे न कोई क्लेश
६
दुनिया में कर्त्तव्य ही, केवल अपना धर्म
करें न फल की लालसा, सत्जीवन का मर्म
७
कोई हक़ छीने नहीं, चाहे हो परिवार
धर्म युद्ध भी उचित है, पाने को अधिकार
८
अमर प्रेम आदर्श है, राधा-श्याम प्रसंग
मुरली धुन पर गोपियाँ, रास मनाएँ संग
९
आकर दर्शन दीजिये, लेकर फिर अवतार
वादा जो हमसे किया जग के पालनहार
१०
बढ़ते अत्याचार से, विपदा में हों लोग
स्वयं उतर के स्वर्ग से, हर लो हर भव-रोग
-ज्योतिर्मयी पंत
२६ अगस्त २०१३ |
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