जय जन भारत जन- मन अभिमत
जन गणतंत्र विधाता
जय गणतंत्र विधाता
गौरव भाल हिमालय उज्जवल
हृदय हार गंगा जल
कटि विंध्याचल सिंधु चरण तल
महिमा शाश्वत गाता
जय जन भारत ...
हरे खेत लहरें नद-निर्झर
जीवन शोभा उर्वर
विश्व कर्मरत कोटि बाहुकर
अगणित-पद-ध्रुव पथ पर
जय जन भारत ...
प्रथम सभ्यता ज्ञाता
साम ध्वनित गुण गाता
जय नव मानवता निर्माता
सत्य अहिंसा दाता
जय हे- जय हे- जय हे
शांति अधिष्ठाता
जय -जन भारत...
-सुमित्रा नंदन पंत
१५ जनवरी २०११
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