मेरे देश
तेरा चप्पा-चप्पा मेरा शरीर है
तेरा जल मेरा मन है
तेरी वायु मेरी आत्मा है
इन सबसे मिलकर ही
तू बनता है मेरे देश
मैं और तू दो तो नहीं है।
शरीर आत्मा मन
एक ही प्राणी के
स्थूल या सूक्ष्म अंग है
मैं इन्हें बँटने नहीं दूँगा
मैं इन्हें लुटने नहीं दूँगा
मैं इन्हें मिटने नहीं दूँगा
- श्याम सिंह शशि
स्रोत : देशभक्ति की कविताएँ
प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय,
भारत सरकार,
नयी दिल्ली
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