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इस झंडे के नीचे आ हर भारतवासी कहे-
तिरंगा सबसे ऊँचा रहे।इस झंडे को पाने के
हित
हमने अगणित प्राण दिए।
आह न की बलि-वेदी पर
जब शोणित से स्नान किए।
फाँसी के तख़्ते पर झूले
ज़ुल्म अनेकों सहे। तिरंगा सबसे ऊँचा रहे।।
श्वेत, हरित, केसरिया बाना
पहन तिरंगा लहराया।
शांति, क्रांति, उन्नति का देखो,
संदेशा देने आया।
जन-जन करे प्रणाम इसे
कसकर हाथों में गहे, तिरंगा सबसे ऊँचा रहे।।
तन-मन-धन का पूर्ण समर्पण
आओ, सब करते जाएँ।
इसी राष्ट्र-ध्वज के नीचे हम
आज शपथ मिलकर खाएँ
आँच न आने देंगे इस पर,
चाहे दुनिया दहे, तिरंगा सबसे ऊँचा रहे।।
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई
एक बाग़ के फूल सभी।
भारत के उपवन की शोभा
घटने पाए नहीं कभी।
दया, अहिंसा, प्रेम-भाव की
सदा त्रिवेणी बहे, तिरंगा सबसे ऊँचा रहे।।
- राममूर्ति सिंह अधीर
१ अगस्त २०१९ |