अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

जनतंत्र हमारा 
 जनतंत्र को समर्पित कविताओं का संकलन 

 
 
मिलकर पढ़ें वे मंत्र
 

आइये, मिलकर पढ़ें
वे मंत्र

जो जगाएँ प्यार मन में
घोल दें खुशबू पवन में
खुशी भर दें
सर्वजन में

कहीं भी जीवन न हो
ज्यों यंत्र

स्वर्ग सा हर गाँव घर हो
सम्पदा-पूरित शहर हो
किसी को किंचित
न डर हो

हर तरह मजबूत हो
हर तंत्र

छंद सुख के गुनगुनायें
स्वप्न को साकार पायें
आइये, वह जग
बनायें

हो जहाँ सम्मानमय
जनतंत्र

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१० अगस्त २०१५


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter