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आइये, मिलकर पढ़ें
वे मंत्र
जो जगाएँ प्यार मन में
घोल दें खुशबू पवन में
खुशी भर दें
सर्वजन में
कहीं भी जीवन न हो
ज्यों यंत्र
स्वर्ग सा हर गाँव घर हो
सम्पदा-पूरित शहर हो
किसी को किंचित
न डर हो
हर तरह मजबूत हो
हर तंत्र
छंद सुख के गुनगुनायें
स्वप्न को साकार पायें
आइये, वह जग
बनायें
हो जहाँ सम्मानमय
जनतंत्र
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१० अगस्त २०१५
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