देश कहाँ है?
अब तो यह बाजार हो गया
घूम घूम कर
मुखिया जी तो ग्राहक ढूँढ रहे
और यहाँ घर वाले
उनकी मटकी फोड़ रहे
संसद भी तो
अब मछली-बाजार हो गया
काम करेंगे
गधे हमारे सीधे सादे हैं
भूखे हैं पर
देखो कितना बोझा लादे हैं
डॉलर फेंको
देखो वो तैय्यार हो गया
सुनो शाह जी
बहुत दिनों से इधर नहीं आये
सोने की चिड़िया
बैठी है कब से मुँह बाये
हड्डी का पिंजरा
देखो बीमार हो गया
आओ बाजारों तक
बिल्कुल सड़क साफ़ है
थूको उस पर
चाहे जितना तुम्हें माफ़ है
थूक हटाना
अपना कारोबार हो गया
- डॉ. प्रदीप शुक्ल
१० अगस्त २०१५
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