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जनतंत्र हमारा 
 जनतंत्र को समर्पित कविताओं का संकलन 

 
 
गीत देश के नाम
 

तुलसी मानस के राम लिखूँ
या मीरा के घनश्याम लिखूँ

माँ शक्ति मुझे तुम दो इतनी
मैं गीत देश के नाम लिखूँ
मैं लिखूँ पुष्प की अभिलाषा
वीरों का दिव्य बसंत लिखूँ

माखन, मैथिली, प्रसाद, पंत,
दिनकर के जैसे छंद लिखूँ
अनगिन गौरव गाथाओं के
ये बिखरे पृष्ठ तमाम लिखूँ

हिमशिखरों से अविरल झरते
झरनों का कल-कल गान लिखूँ
पल-पल परिवर्तित ऋतुओं के
वैभव का दृश्य विधान लिखूँ

इस शस्य श्यामला धरती की
सुषमा नूतन अभिराम लिखूँ
सूने आँगन की देहरी में
आशाओं का दिनमान लिखूँ

तकती आखों में खुशियों की
कोई तो सुबहो-शाम लिखूँ
मैं नाम शहीदों के इन भीगी
पलकों का पैगाम लिखूँ

मैं गीत लिखूँ इस माटी का
भर कर साँसों में नव चन्दन
भारत के भाग्य विधाता का
हो नये स्वरों में अभिनन्दन

निज मातृ भूमि के चरणों में
नतमस्तक कोटि प्रणाम लिखूँ
माँ शक्ति मुझे तुम दो इतनी
मैं गीत देश के नाम लिखूँ

- मधु शुक्ला 
१० अगस्त २०१५


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