नमन तुम्हें मेरे भारत
तुमको हर साँस समर्पित है
यह चन्दन सी माटी मधुमय
जो जीवन सुमन खिलाती है
भीनी- भीनी मलयानिल भी
हौले -हौले दुलराती है
कण-कण बिखरी सुन्दरता
षडऋतुओं पर मन मोहित है
और कहाँ हम पायेंगे
ममता -करुणा से भीगे मन
रंग बिरंगे फूलों से
सजा झूमता हुआ चमन
है धर्म यहाँ का मानवता
शुभ गंगा -जमुनी संस्कृति है
वन्दनीय है वर्तमान
गौरवमय है जिसका अतीत
सोपान प्रगति के छू लेगा
आगत भी है मन में प्रतीत
इसकी गुरुता गरिमा पर
सम्पूर्ण विश्व आकर्षित है
- मधु प्रधान
१० अगस्त २०१५
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