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ओ मेरे जनतंत्र सुन
थोड़े सपने और बुन
निश्चित "भारत-पुष्प" खिलेगा
जो खोया, वो पुनः मिलेगा
केसरिया और श्वेत-हरित का
ताना-बाना नहीं हिलेगा
भारत माँ को कर नमन
गुंजित होगी राष्ट्रधुन
देखो बेटे जाग पड़े हैं
कर्मों में संकल्प जड़े हैं
सीमा से लेकर चौखटतक
प्रहरी पल-छिन सजग खड़े हैं
आगे को जाता रहे
तू बस वो ही मार्ग चुन
गर्व सनातन शीश उठाता
भोग मिटाके योग सिखाता
न्याय नहीं पथ से भटकेगा
जन-गण को संदेश सुनाता
ज्योति अखंड जले सदा
सत को आठों याम गुन
- कुमार गौरव अजीतेन्दु
१० अगस्त २०१५
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