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गुन स्वतंत्रता गान,
तिरंगा
लहर लहर लहराया
पिंजड़ा लेकर उड़ीं चिरैयाँ
जाल काटने लगीं मछलियाँ
क्रूर वधिक के क़त्लगाह से
खूँटे खींच ले गईं गैयाँ
रामदीन के हथ-रिक्शे ने
गति को और बढ़ाया
खूब सज रही झण्डा-झाँकी
किसे खबर पर, दीन-जहाँ की
कब आए, ले गए तकादे
छत उखाड़, गूँगी धनियाँ की
किसने देखा कृपाराम ने
कब-कब हंटर खाया
लाखों जुटे हुए अनुगामी
नमित-शीश दे रहे सलामी
मगर अधर में प्रश्न वही, क्या
हुई नेस्तनाबूद गुलामी?
सड़सठ सावन गुजरे पर क्या
सुखद मेह भी आया?
- कल्पना रामानी
१० अगस्त २०१५
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