ये ऐसा देश हमारा
ये अपना देश हमारा
हममें रस की खाने हैं रसखानों की
सूर कबीरों की टोली दीवानों की
भगत शिवा आज़ाद हमीदों की टोली
जौहर करतीं जहाँ नारियाँ रंगोली
कि हमको प्राण से प्यारा
ये ऐसा देश हमारा
रंग बिरंगे फूलों जैसी भाषाएँ
हम अनेक पर एक डाल की शोभाएँ
सभी अंगुलियाँ एक हाँथ की ताकत है
अपने पे आ गये तो समझो आफत है
कि जैसे बाढ़ की धारा
ये ऐसा देश हमारा
पिया हमी ने सारे जग की पीड़ा को
सदा संजोया हमनेसयुग की व्रीड़ा को
बुद्ध जनमती धरती मेरी शान्ति के
और वीरवर पैदा करती क्रान्ति के
कि जैसे बापू प्यारा
ये ऐसा देश हमारा
अक्षय अक्षुण लौहस्तम्भ को आँच नहीं दो
कंचन का समझौता करके काँच नही दो
हमने लाल जवाहर खोये धोखे से
अब न ढहेंगे किसी फूंक के झोके से
कि जैसे चोट से पारा
ये ऐसा देश हमारा
- चन्द्रप्रकाश पाण्डे
१० अगस्त २०१५
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