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जनतंत्र हमारा 
 जनतंत्र को समर्पित कविताओं का संकलन 

 
 
आज़ादी
 

कई साल हो गये
आज़ाद हुए
काफी तरक्की हुई
फिर भी हमें
बहुत आगे जाना है

इतिहास लंबा हमारा
संस्कृति और भी लंबी
सदियाँ आती जाती रहीं
वीरों ने बलिदान दिया
कई शहीद हुए
चलो आज वचन ले
सब बलिदानों को
सार्थक करें
नए भारत का
निर्माण करें
नई आज़ादी
प्राप्त करें

थोड़े अमीर बहुत सारे गरीब
गन्दगी पीछा न छोड़े
रिश्वत का चलन अब भी जारी
धरम के नाम पर मारामारी
चलो इन सब से
ऊपर उठें
नए भारत का
निर्माण करें
नई आज़ादी
प्राप्त करें

- अश्विन गाँधी
१० अगस्त २०१५


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