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जनतंत्र
हमारा
जनतंत्र
को समर्पित कविताओं का संकलन
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आजादी का अर्थ
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बड़े बड़ों ने कर दिया, देश आज बेहाल।
उत्तर पहले दो हमे, बच्चे करें सवाल।
जीता रण स्वातंत्र का, आजादी क्यों दूर।
सबने अपने हित यहाँ, साधे हैं भरपूर।
भेदेंगे अभिमन्यु सा, चक्र व्यूह हम आज।
बेच रहे जो देश को, छीनें उनके ताज।
सभी समझ लें आज से, आजादी का अर्थ।
पल भर भी बीते नहीं , समय हमारा व्यर्थ।
जाग उठें अब देश के, बच्चे वृद्ध जवान।
स्वर्णिमाक्षरों से लिखें, प्यारा हिन्दुस्तान।
- सीमा हरि शर्मा
१७ अगस्त २०१५ |
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