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जनतंत्र
हमारा
जनतंत्र
को समर्पित कविताओं का संकलन
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स्वतंत्रता दिवस
(ताँका)
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१ .
आज़ादी रच
हो बलिदानी रक्त
बन प्रहरी
पथ दुर्गम रथ
न हो भ्रष्ट, पा लक्ष्य
२.
देश अनूठा
संस्कृति सुवासित
वेश अलग
गंग जमुन पानी
सींचे निर्मल बानी
३.
भा के भाव हों
मकरंद हो श्वास
र, राग बहे
त, तुलसी रहीम
वेदों का ज्ञान रहे
४
देश जो मेरा
प्राणदायिनी धरा
प्रेम है भरा
तोरण तिरंगा है
हिमालय गर्व भरा
- मंजुल भटनागर
१७ अगस्त २०१५ |
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