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यह स्वतंत्रता गंध सी, देती है विश्वास
देश हमारा विश्व में, बन जाएगा खास
पंद्रह अगस्त सुवास का, झोंका मधुर सुहाय
इसकी शीतल छाँह में, उन्नति करे उपाय
कहते तुझे प्रणाम माँ, तू है अपनी जान
सब कुछ तेरे ही लिए, शान मान सम्मान
चन्दन इसकी सभ्यता, मंथन में जग मूल
खड़ा हिमालय सिर उठा, गंगा निर्मल कूल
दिवस स्वतंत्रता का यही, पंद्रह यही अगस्त
राष्ट्रपर्व जिस देश का, भारत कहें समस्त
- करन बहादुर
१७ अगस्त २०१५
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