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जनतंत्र
हमारा
जनतंत्र
को समर्पित कविताओं का संकलन
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पाया देश महान
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वीरों ने जिसके लिए, किया आत्म बलिदान
आज़ादी के लक्ष्य को, पाया देश महान।
जन-गण ने पीड़ा सही, फाँसी कारागार
जिनकी आहुति से मिला, आज़ादी उपहार।
याद रखें उनको सदा, उनका ये उपकार
हैं स्वतंत्र हम देश में, नहीं दास लाचार।
लाख कोशिशें सब करें, अमर रहे जन तंत्र
देश द्रोह का अंत हो, भारत रहे स्वतंत्र।
शिक्षा स्वास्थ्य सुधार हो, चहुँमुख होय विकास
रोजी-रोटी मिल सके, जनता की यह आस।
चक्रव्यूह सा है बना, घूस-गबन व्यापार
आतंकी फैला रहे, प्रतिदिन अत्याचार।
रक्षा हित जनतंत्र की, हों सब ही तैयार
दोषारोपण हो नहीं, इक दूजे पर वार।
संस्कृति-भाषा नीतियाँ, बनें देश की शान
गाँव-शहर मिल कर बने, मेरा देश महान।
प्रगति बहुमुखी देश की, सुख का मिले प्रकाश
प्रकृति और परिवेश का, हो ना सकल विनाश।
कृषि प्रधान इस देश में, खुलें नए उद्योग
सबको खुश हाली मिले, न हों दुखद संयोग।
भारत माँ की शान का, ध्वज फहराये विश्व
आन-बान औ ज्ञान का, गुरुवर बनें भविष्य।
- ज्योतिरमयी पंत
१७ अगस्त २०१५ |
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