नव स्वप्नों से एक नया संसार लिखें
आओ मिलके उन्नति के उद्गार लिखें
सच्चाई पथ पर बाधायें भारी हैं
इन बाधाओं से लड़ते ललकार लिखें
गावों औ' खेतों में जो भारत बसता
उसकी पीड़ाओं पर कर उपकार लिखें
जिस मिट्टी ने हमको पाला-पोसा है
उसके कण-कण को वंदन आभार लिखें
हाथ अगर मंगल को छू भी आयें तो
पाँव धरा पर रखने के संस्कार लिखें
मानवता की भाषा ज्यों समझे आतंक
'रीत' चलो ऐसी कोई मनुहार लिखें
- परमजीत कौर 'रीत'
१७ अगस्त २०१५
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