अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

जनतंत्र हमारा 
 जनतंत्र को समर्पित कविताओं का संकलन 

 
 
उन्नति के उद्गार लिखें
 

नव स्वप्नों से एक नया संसार लिखें
आओ मिलके उन्नति के उद्गार लिखें

सच्चाई पथ पर बाधायें भारी हैं
इन बाधाओं से लड़ते ललकार लिखें

गावों औ' खेतों में जो भारत बसता
उसकी पीड़ाओं पर कर उपकार लिखें

जिस मिट्टी ने हमको पाला-पोसा है
उसके कण-कण को वंदन आभार लिखें

हाथ अगर मंगल को छू भी आयें तो
पाँव धरा पर रखने के संस्कार लिखें

मानवता की भाषा ज्यों समझे आतंक
'रीत' चलो ऐसी कोई मनुहार लिखें

- परमजीत कौर 'रीत' 
१७ अगस्त २०१५


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter