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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
देश
 
हरित धरती,
थिरकतीं नदियाँ,
हवा के मदभरे सन्देश।
सिर्फ तुम भूखंड की सीमा नहीं हो देश।।

भावनाओं, संस्कृति के प्राण हो,
जीवन कथा हो,
मनुजता के अमित सुख,
तुम अनकही अंतर्व्यथा हो,
1
प्रेम, करुणा,
त्याग, ममता,
गुणों से परिपूर्ण हो तपवेश।
सिर्फ तुम भूखंड की सीमा नहीं हो देश।।

पर्वतों की शृंखला हो,
सुनहरी पूरब दिशा हो,
इंद्रधनुषी स्वप्न की
सुखदायिनी मधुमय निशा हो,
1
गंध, कलरव,
खिलखिलाहट, प्यार
एवं स्वर्ग सा परिवेश।
सिर्फ तुम भूखंड की सीमा नहीं हो देश।।

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
११ अगस्त २०१४

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