आजादी की राह चले जो कदम कभी भी थमे नहीं।
याद करें उन वीरों को जो टूट गये पर झुके नहीं।
अपना सब कुछ माँ चरणों में पूर्णलगन से चढ़ा दिया।
फाँसी के फंदों को चूमा मरने से जो डरे नहीं।
अपने दिल की बात सुनें कर्तव्यों हित ही जिये मरें।
कठिन डगर के राही हैं हम शंकाओं से घिरे नहीं।
नैतिक मूल्यों की खातिर पूरी निष्ठा से बढ़े चलें।
चाहे प्राण भले ही जायें वचन कभी भी तजे नहीं।
ज्ञान किरण से आलोकित भारत का कण-कण खिला हुआ।
स्वच्छ बने नदियाँ सागर तक बहने से अब रुके नहीं।
अवतारों ऋषियों के वंशज भारत के सुत गुणी बहुत।
विजय का परचम फहराने में जग में पीछे हटे नहीं।
वीर सुता भारत माता अब प्रगति पथ पर बढ़े चले।
इस हेतू भारत वासी के कदमों की गति रुके नहीं।
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
११ अगस्त २०१४
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