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मेरा भारत
विश्वजाल
पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन
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मन तो बसता अपने देस
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तन जो हो सुदूर कहीं भी,
मन तो बसता अपने देश।
माँ सी धरती, पिता हैं अम्बर
तरूवर देव समान यहाँ
सूर्य चाँद और ग्रह नक्षत्र
सब का ही सम्मान यहाँ
गुरुवर सा हर पल संग रहता भगवद गीता का संदेश
योग ध्यान, निग्रह और संयम ॠषियों का अनुपम उपदेश
षट ऋतुओं का हो अभिनन्दन
ऐसी धरती और कहाँ
चन्दन गर्भित पवन सुवासित
राग- रागिनी नाद यहाँ
सत्य अहिंसा की भूमि यह गौतम और गाँधी का देश
साहस और बलिदान की मूरत वीरों की गाथा का देश
यहीं है गीता, यहाँ रामायण
मीरा के मृदु गीत यहाँ
जन-जन गाये सूर कबीरा
भक्ति का संगीत यहाँ
धर्म, ज्ञान विज्ञान संवाहक और नहीं कोई ऐसा देश
समता और समभाव प्रचारक जग में मेरा भारत देश
तेरी माटी कुंकुम चंदन
मस्तक रोज़ लगाऊँ मैं
जहाँ रहूँ ,जिस छोर भी जाऊँ
तुझको शीश नवाऊँ मैं
मेरे तो मन मंदिर बसता देव समान मेरा देश
पूजा अर्चन का यह देश भक्ति वन्दन का यह देश ।
- शशि पाधा
११ अगस्त २०१४ |
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