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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
वह है अपना देश
 
जियो और जीने दो का
देता आया उपदेश
वसुधा को कुटुम्ब जो माने
वह है अपना देश

राह अहिंसा की अपनाओ
दिया जगत को ज्ञान
दया और करुणा ही हैं
मानवता की पहचान
चींटी दबे पाँव के नीचे
तो मन में हो क्लेश

इस दुनिया में सबकी
भागीदारी पूरी है
इन्द्रधनुष में रंग कौन सा
गैर जरूरी है
रंग न कोई मिटे
विश्व में रहे विविधता शेष

हमें असत् से सत् की ओर
हमेशा चलना है
अन्धकार को त्याग उजाले
में ही पलना है
पकड़ें यदि सन्मार्ग
कभी भी नहीं लगेगी ठेस

– रविशंकर मिश्र रवि
११ अगस्त २०१४

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