इस धरती का एक टुकड़ा
अभी इस समय
दौड़ रहा है तेज़ी से
मंगल की ओर
जिसकी गेरुआ भूमि भर रही है
गर्व के रंग हमारे ललाट पर
दायाँ हाथ
आगे बढ़कर दे रहा है
इफ्तारी
बायें हाथ को
अभी शिव के मस्तक पर एक बूँद गिरी है प्रार्थना की
और धरती हो उठी है हरी
सिनेमा के परदे पर
हेरी पॉटर अभी शुरू होगी
कि राष्ट्रगान
पर खड़ी हो गयी है एक पूरी पीढी
अभी भी जुआघरों की तादात
कम है इबादतगाहों से
और उड़ रहे हैं श्वेत कपोत
मिसाइलों से कहीं ज्यादा संख्या में
कायम है आस्था
बिसलरी की बोतल की
गंगाजल में
काट रहा है चेतना का कठफोवड़ा
अंध विश्वासों के नरभक्षी वृक्ष
एक प्रेत अभी भी रक्षा कर रहा है
गाँव के एक पीपल की
इस देश की मिट्टी में
उग रही हैं संभावनाएं
और सुना जा सकता है
इनका स्वर सुदूर से आती स्वर लहरियों में
कानों में इयरफोन लगे होने के बावजूद
उसे देख कर
मेरे रोंये खड़े हो गए हैं
एक बच्चा है जो चला आ रहा है
हाथ में तिरंगा लिये
- परमेश्वर फुँकवाल
११ अगस्त २०१४
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