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इस मिट्टी की आन बचाने, जाने कितने हुए शहीद !
भूल गए हम वो कुरबानी, पश्चिम के फिर बने मुरीद !!
सोये कहाँ आज मतवाले , छिपे कहाँ पर सारे वीर !
घाव लगे छाती पर माँ की, कौन हरेगा इनकी पीर !!
आज भला क्यों भारत अपना, बैठा किस्मत को है रोय !
दाँव लगा ईमान धरम को, मर्यादा इसने दी खोय !!
होती गरिमा निज माटी की, कितनी पावन कितनी ख़ास !
माथे पर तुम तिलक लगा लो, होगा स्वर्ग तुल्य आभास !!
भारत-भूमि सदा रखती है, हर भारतवासी का मान !
कहाँ गये वे बेटे जिनकी, कथनी करनी एक समान !!
छोड़ो कोरी बातें करना, हाथों में ले लो हथियार !
अपना अपना हुनर दिखा दो, कलम उठाओ या तलवार !
- निशा कोठारी
११ अगस्त २०१४
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