अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
देश हमारा
 

अपमानित सा अवमानित सा
नहीं रहेगा विश्व-पटल पर
देश हमारा

अब सन्तति ने स्वाभिमान की
अंगड़ाई ले सीख लिया है उत्तर देना
नहीं दबंगों की करतूतों को आगे से
चुप-चुप रह कर
झुक कर सहना

ना कोई भ्रम हम हैं सक्षम
नहीं सहेगा झूठे बंधन
देश हमारा

संयम कमजोरी नहिं समझें
दुनिया के सिरमौर बने जो ताकत वाले
दम्भ नहीं यह, यह गौरव है जिसे बचाने
जुटे प्राण प्रण से मतवाले

हम सीमित हैं मर्यादित हैं
नहीं कहेगा कभी अनैतिक
देश हमारा

- जगदीश पंकज
११ अगस्त २०१४


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter