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मेरा भारत
विश्वजाल
पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन
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देश हमारा
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१.
उस पर आँच न आने पाये,
जान भले उसके हित जाये,
उस पर मुझे बड़ा अभिमान,
क्या सखि साजन ? हिन्दुस्तान !
२.
उस पर सब होते कुर्बान,
वो है अपने वतन की शान,
जग से न्यारा रंग बिरंगा,
ऐ सखि साजन ? नहीं,'तिरंगा' !
३.
उसने दुश्मन को ललकारा,
कहीं शून्य़ कहिं फिफ्टी पारा,
करे सुरक्षा काम ये दैनिक,
क्य़ा रखवाला ? नहिं सखि सैनिक !
४.
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
सब मिल रहते जैसे भाई,
हिलमिल लिखते एक इबारत,
क्या सखि जन्नत ? नहिं सखि 'भारत'
५.
फहराता हो जहाँ तिरंगा,
बहती हो जहँ पावन गंगा,
दुनियाँ में सब कहें महान,
क्या सखि भारत ? हिन्दुस्तान !!
६.
कहते थे सोने की चिड़िया,
देश यही है सबसे बढ़िया,
जाति धर्म का भेद नदारत,
क्या सखि स्वर्ग ? नहिं सखि 'भारत'
७.
उससे मुझे असीमित प्यार,
उस पर मर मिटने तैयार,
उसका संकट सहा न जाता,
क्या सखि साजन ?'भारत माता' !
- हरिओम श्रीवास्तव
११ अगस्त २०१४ |
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