गाएँ गौरव-गान देश का
गाएँ गौरव गान
यह भूमि है अति पावन
सबसे बढ़कर मनभावन
इस पर आँच न आने देंगे
कर देंगे जीवन बलिदान
सीमा पर शत्रु को देखो
अपमानित करता भारत को
आज दिखा दें उसको अपनी
एक झलक पहचान
पुनः करें हम शक्ति साधना
भरें हृदय में राष्ट्र भावना
विजय पताका थामें कर में
बढ़ते वीर जवान
जन्मभूभि का कर्ज चुकाने
भारत माँ का मान बढ़ाने
प्रभुराम के साधक बनकर
कर लें शर संधान।
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
१२ अगस्त २०१३
|