कुछ लोगों की भली चलाई
हमसे कहते करो क्रान्ति
खाते आप मलाई
रेबन के चश्मे में सजकर
कलर प्लस कपड़ों में डट कर
ट्रिपल फाइव की सिगरेट पी कर
हमको दें उपदेश पिलाई
जौनी वाकर के पैग चढ़ा कर
डिस्कोथीक में नाच नचा कर
ताज महल का डिनर पचा कर
मजदूरों की लड़ें लड़ाई
हमको है सपनों का झाँसा
उनका सत्ता घर में बासा
तर्कों के काँटे से फाँसा
हमसे कुर्बानी दिलवाई
हम प्रयोग को झेल रहे हैं
वो थ्योरी से खेल रहे हैं
उनके ऊँचे मेल रहे हैं
अपनी कहाँ कौन सुनवाई
-संजीव निगम
१२ अगस्त २०१३
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