भूखे पेट आज भी सोती
आधी आबादी
हमें मिली आज़ादी लेकिन
कैसी आज़ादी
मंत्री नेता अफसर बाबू
ठेकेदार दलाल
ये ही मालामाल हुये हैं
ये ही हैं खुशहाल
आम आदमी के हिस्से में
आयी बरबादी
जय जवान औ जय किसान
का नारा घायल है
सीमा हो या खेत
खड़ी मुश्किल ही मुश्किल है
फरियादें अपनी लेकर सिर
पीटे फरियादी
कदम–कदम पर खतरों की
अगवानी करनी है
हाथ बाँधकर सीमा की
निगरानी करनी है
विवश रहे गोली खाने को
सीने फ़ौलादी
आज शहादत की कीमत
कब है दो आँसू भी
गद्दारी को खुलेआम
मिलती है शाबाशी
वतन बेचने पर आमादा
है अब तो खादी
– रविशंकर मिश्र रवि
१२ अगस्त २०१३
|