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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 

बँटवारे की पीर

बँटवारे ने देश के, घाव दिये गंभीर।
साठ साल के बाद भी, ज्यों की त्यों है पीर।।

लुटी किसी की आबरू, मरा किसी का मर्द।
पीड़ा दायक है बहुत, बँटवारे का दर्द।।

अपने घर में जब खिंची, नफरत की दीवार।
यादें लेकर आ गये, सरहद के इस पार।।

आग लगी सदभाव को, छूट गये घर-बार।
रिश्ते-नाते रह गये, सरहद के उस पार।।

हुआ विभाजन देश का, लोग हुए बर्बाद।
दर्द समाया रूह में, बनकर कड़वी याद।।

राधा को लूटा गया, दिया बाप को मार।
सलमा को लुटना पड़ा, सरहद के इस पार।।

नफरत की इक रेख ने, वार किया भरपूर।
बँटवारे ने कर दिये, सपने चकनाचूर।।

-रघुविन्द्र यादव
१२ अगस्त २०१३


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