कौन कह रहा द्वापर में ही
कौरव कुल का
नाश हुआ
वही पिताश्री
बिन आँखों के माताश्री पट्टी बाँधे
ढो-ढो पुत्रमोह की थाती दुखते दोनों के काँधे
उधर न्याय की आस लगाये
अर्जुन सदा निराश हुआ
नकुल और
सहदेव सरीखे भाई के भी भाव गिरे
दुर्योधन जी राजमहल में दुस्साशन से रहें घिरे
जिसमें जितने दुर्गुण ज्यादा
वह राजा का ख़ास हुआ
चालें वही
शकुनि की दिखतीं चौपड़ के नकली पासे
नहीं मयस्सर चना-चबेना दूध-मलाई के झाँसे
चंडालों की मजलिस में जा
सदा युधिष्ठिर दास हुआ
भीष्म - द्रोण
सत्ता के साथी अपने-अपने कारण हैं
रक्षाकवच नीति के सबने किये बख़ूबी धारण हैं
सच कहने पर चचा विदुर को
दिखे आज वनवास हुआ
- ओमप्रकाश तिवारी
१२ अगस्त २०१३
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