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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 

क्या खौफ दरिंदों से


क्या खौफ़ दरिंदों से
हमको तो डर है
घर के जयचंदों से


क्या फूल यहाँ महकें
ज़हर हवाओं में
पंछी कैसे चहकें


ये रात बहुत काली
है कितना गाफिल
इस बगिया का माली।


है चाह सवेरे की
खींचो तो मिल के
ये पाल अँधेरे की


रुख मोड़ लिया हमने
कल की बातों को
कल छोड़ दिया हमने ।


धोखा हर बार करे
वैरी है कायर
छुप-छुप कर वार करे


कैसी ये लाचारी
जब इक वीर यहाँ
है, सौ-सौ पर भारी


भूले बलिदानों को
वीर शहीदों के
समझो अरमानों को


इक राह दिखाई थी
खूँ देकर अपना
बगिया सरसाई थी

१०
यूँ पर्व मनाते हो
दीप जलाने की
बस रस्म निभाते हो

ज्योत्सना शर्मा
१२ अगस्त २०१३


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