१
माँ जन्मभूमि सब की
शान विविधता में
भाषा औ' मजहब की
२
सोने की ये चिड़िया
फिर परवाज भरे
होवे सुख की पुड़िया
३
वीरों की क़ुरबानी
याद रहे दिल में
भर आँखों में पानी
४
नित शीश कटाते हैं
सीमा पर प्रहरी
हम शीश नवाते हैं
५
भारत के जयकारे
होंगे तब सच्चे
जन भूख से न हारें
६
आतंकों का साया
चैन नहीं पल भर
हर जन है घबराया
७
जिसकी महिमा गाते
वेद पुराण सभी
हे जन्भूमि ! माते
ज्योतिर्मयी पंत
१२ अगस्त २०१३
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