अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मेरा भारत
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन

 

प्यारा हमको देश

विविध सुरीली बोलियाँ, विविध अनूठे धर्म।
दिव्य, पूज्य भारत धरा, छुए विश्व का मर्म॥

अमर शहीदों ने दिया, मिटकर यह संदेश।
प्राणों से भी है अधिक, प्यारा हमको देश॥

आजादी तो मिल गयी, मिला नहीं अधिकार।
पहले हम लाचार थे, अब भी हैं लाचार॥

महलों वाले चल पड़े, हैं सूरज की ओर।
बस्ती में छाया हुआ, अंधियारा घनघोर॥

आजादी के वास्ते, मिटे अनगिनत वीर।
भ्रष्ट तंत्र अब लिख रहा, भारत की तकदीर॥

लोकतंत्र में दोस्तों, जनता है लाचार।
चाहे ये सरकार हो, चाहे वो सरकार॥

कान्हा फिर से छेड़ दो, बंशी की वो तान,
आकुल हो गोकुल गली, मथुरा करे बयान॥

-सुबोध श्रीवास्तव
१३ अगस्त २०१२


इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter