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चलो जवान देश के
बढ़ो महान देश के
युद्ध का कठिन समय, शांति है तुझे कहाँ
तू जिधर बढ़ा विराट्, क्रांति है सतत वहाँ
विजय निशान देश के
चलो जवान देश के
जहाँ रुधिर गिराएगा, विजय वहीं खड़ी मिले
तुझे दुलारने गगन झुके, धरा मगन खिले
अजेय प्राण देश के
चलो जवान देश के
पहाड़ भी अगर मिले, मिला न आँख पाएगा
भिडे़गा यदि कुबुद्धि से, तो काल मात खाएगा
अमर विहान देश के
चलो जवान देश के
सुंदरा-वसुंधरा की आरती उतार लो
जय स्वदेश भारती की तुम सभी उचार लो
उदीयमान देश के
आत्मज्ञान देश के
अतीत के खुले हुए ये पृष्ठ हैं बुला रहे
क्रांति की मशाल को ये फिर से हैं जला रहे
आ चौहान देश के
सुवर्तमान देश के
आज युद्ध का बजा बिगुल शिवा पुकारता
तुम्हें शपथ उठो चलो, बहादुरो पुकारता
स्वाभिमान देश के
बढ़ो सुजान देश के
योजनाओं की पुकार है कदम रुकें नहीं
मातृ-भू का कर्ज़ है कि जो कभी चुके नहीं
क्रांतिमान देश के
चलो जवान देश के
डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल
१३ अगस्त २०१२
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