स्वाधीनता दिवस
इंतज़ार है
पन्द्रह अगस्त का
जब लगेगी प्रभात फेरी बच्चों की।
हम घबरा कर
उस दिन निकलेंगे
बिस्तर से सबेरे सबेरे।
बच्चों का जूनून देख
दिल हुलस उठेगा।
जल्दी जल्दी नहा धो कर
बैठना होगा
दूरदर्शन के सामने।
तिरंगा फहराना होगा घर की छत पर।
इंदुबाला सिंह
हर चुनौती के लिए ...!
इस भवन की नींव के
पत्थर है हम,
अमिट स्याही से लिखे
अक्षर हैं हम,
हम समर्पित सजग प्रहरी
राष्ट्र के,
हर चुनौती के लिए
तत्पर हैं हम !
--विश्वम्भर शुक्ल
अनंत जीवन
वे देशभक्त
आज़ादी हित
फाँसी के तख्ते पर झूले
हँसते हँसते
कह गए
वचन ये मौन-
'निज देश हेतु
मरना न मृत्यु
जीवन अनंत है'
-- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१३ अगस्त २०१२
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