ज्ञान का वरदान दे माँ
शक्ति दे सौभाग्य दे
मात दुर्गे जगत को
धन धान्य से परिपूर्ण कर
धरा, नदियाँ, जनयत्री, से
माँगते ही हम रहे
पूजते हैं कम तुझे माँ
दुख सदा अपने कहे
रीत देने की सिखाकर
माँ हमें सम्पूर्ण कर
शुभ्र मन शुचिता ह्रदय की
माँ तुझे अर्पण करें
जो धरोहर हैं मिलीं सब
हम सहेजें ओ रखें
संकुचित सीमाएँ मन की
माँ सभी विस्तीर्ण कर
फिर ह्रदय में आज माँ हो
कालिका बन अवतरित
मन विकारो को समूचा
नाश कर दे तू त्वरित
सत्य की हर परीक्षा में
माँ हमें उत्तीर्ण कर
- सीमा हरि शर्मा
१५ अक्तूबर २०१५ |