भव्य रूप में
बैठ सिंह पे
माँ भक्तों के नैना सींचे।
काम से थककर लौटा बुधिया
माँ का रूप निहार रहा है
सोच रहा वो भीड़ छटे तो
बढ़िया सी एक
सेल्फ़ी खींचे।
भव्य रूप में
बैठ सिंह पे
माँ भक्तों के नैना सींचे।
मन ही मन करता है सुमिरन
माँ दुर्गा को शीश नवाये
माँ मुझको वैभव दिलवाओ
करे प्रार्थना
आँखे भींचे।
भव्य रूप में बैठ सिंह पे
माँ भक्तों के नैना सींचे।
- सखी सिंह
१५ अक्तूबर २०१५ |