हे मातृशक्ति! तुझको प्रणाम!
तुझसे ही जन्मा प्राणि मात्र
तेरा पय पी, हैं अमर पात्र
तेरे कर सज्जित अस्त्र-शस्त्र
तेरी वाणी में निसृत शास्त्र
तू सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा
काली, कल्याणी- एकनाम!
तू जगत्जननि भी है बनती
तू संहारण ही है करती
तेरा ही स्मरण किया करते
सुर-असुर-मनुज, गन्धर्व-यती
तेरी अनुकम्पा होती है
तो होता है अनुकूल वाम!
तुझमें ही रहते आदि-अन्त
तुझमें ही जीवन है अनन्त
तू माताओं की है माता
तुझसे सेवित हैं दिग-दिगन्त
तुझसे ही संचालित संसृति
भजती रहती प्रत्येक याम!
- राजेंद्र वर्मा
१५ अक्तूबर २०१५ |