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बूँद हूँ मैं

 

 

 

बूँद हूँ मैं
उस महा छवि की
ज्योति का झरता हुआ कण हूँ

मैं तृषा हूँ तृप्ति के मधुमास की
झलक हूँ मृदु शारदीय हास की
प्रगति के सोपान का आधार पहला
में तरल सी दीप्ति हूँ विश्वास की

गूँज कर
थम जाये जब मृदु रागिनी
मुखर होता मौन का क्षण हूँ

मैं प्रकृति के लास्य की साकार उपमा
व्यंजना हूँ लाज के अभिसार की
जो झुका दे गर्व से उन्नत शिखर
मैं मधुर संभावना हूँ हार की

क्रोड़ में
जिसके निखिल संसार है
मैं वो नन्हा दूब का तृण हूँ

- मधु प्रधान
१५ अक्तूबर २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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